कृष्ण जन्माष्टमी पर बदली कई ग्रहों की चाल:जानिए इस बार आपके लिए क्यों होगी खास, 31 दिसंबर तक ग्रहों का दिखेगा बड़ा असर

इस बार जन्माष्टमी भी राखी की तरह दो दिनों के कंफ्यूजन में है। कोई 6 तो कोई 7 सितंबर को मनाने की तैयारी कर रहा है। इसी कंफ्यूजन के बीच जन्माष्टमी पर ग्रहों का बड़ा परिवर्तन भी हो रहा है। यह परिवर्तन कृष्ण के जन्म को और खास बना रहा है।

आम से लेकर खास ही नहीं प्रकृति पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा। ज्योतिष विद्वान सितंबर महीने में कृष्ण जन्माष्टमी से पहले हुए इस बदलाव को 31 दिसंबर तक प्रभावी होने की बात कर रहे हैं।

जानिए आपकी लाइफ में कैसा बदलाव लाएगा कृष्ण का जन्म और जन्माष्टमी की उपासना क्यों होगी खास..

पटना के इस्कॉन टेंपल में जन्माष्टमी पर विशेष सजावट की गई है।

पहले जानिए कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी

पटना के प्रमुख ज्योति विद्वान पंडित राकेश झा ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि को हुआ था। इस बार यह संयोग बुधवार 6 सितंबर को बन रहा है।

बुधवार 6 सितंबर को अष्टमी तिथि रात 8 बजकर 7 मिनट पर लग रही है, जबकि रोहिणी नक्षत्र शाम 2 बजकर 50 मिनट से ही लग रहा है। ये दोनों संयोग मध्य रात्रि में भी बने रहेंगे, जिससे जन्माष्टमी 6 सितंबर को ही मनाया जाना शुभ होगा।

साधु संत कृष्ण अष्टमी, और गृहस्थ जन जन्म अष्टमी मानते हैं। चुकी साधु संत कृष्णा अष्टमी यानी जन्म के बाद मानते हैं इसलिए वह 7 को मनाएंगे, गृहस्थ भगवान के गर्भ में होने और जन्म का उत्सव मनाते हैं इसलिए ये संयोग 6 को है।

ज्योतिष विद्वानों का मत है कि बुधवार को ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत और पूजन अर्पण करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। जिस संयोग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, उसी संयोग और समय में पूजा उपासना करना सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाली होती है।

इसलिए इस तिथि पर विशेष रूप से पूजा अनुष्ठान कराएं, जिससे ग्रहों की बदली चाल का प्रभाव भी नहीं पड़े और शुभ फलों की प्राप्ति हो।

जानिए क्यों खास है सितंबर का महीना

विद्वानों का कहना है कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सितंबर मास बहुत खास रहने वाला है। कुल 9 ग्रहों में 5 ग्रह इस महीने वक्री रहेंगे। जिसमें बुध, शनि, राहु-केतु वक्री चल रहे हैं और गुरु ग्रह भी 4 सितंबर से वक्री हो गए हैं।

27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद इस तीन नक्षत्रों का स्वामी गुरु ही है। शुक्र ग्रह भी वक्री चल रहा था जो 4 सितंबर से ही कर्क राशि में मार्गी हो गय है। इस महीने ग्रहों के वक्री होने के कारण इस ग्रहों से संबंधित राशि के जातकों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

देव गुरु वृहस्पति की उल्टी हो गई चाल

देव गुरु वृहस्पति की चाल उल्टी हो गई है। वह 16 दिसंबर तक गुरु उल्टी चाल में ही रहेंगे। ज्योतिषाचार्य राकेश झा के मुताबिक भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी 4 सितंबर सोमवार की रात 7 बजकर 4 मिनट से 16 दिसंबर की सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक मेष राशि में देवगुरु बृहस्पति वक्री रहेंगे।

गुरु को ज्योतिष शास्त्र में नैसर्गिक शुभ ग्रह माना गया है। गुरु भौतिक सुख-सुविधाओं, यश, सौभाग्य का कारक ग्रह भी कहा जाता है। बुध और शनि पहले से ही वक्री चल रहे हैं। इनके अलावा राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में हमेशा वक्री रहते हैं।

शनि कुंभ राशि में वक्री है, जो आज सोमवार से मार्गी हो जाएंगे। बुध ग्रह 16 सितंबर तक सिंह राशि में वक्री रहेंगे। ऐसे में आम लोगों से लेकर खास लोगों पर इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा।

5 ग्रहों के वक्री होने से आपकी लाइफ में नफा नुकसान

5 ग्रहों के वक्री होने से कारोबारियों के लिए लाभप्रद रहेगा। वाहन, प्रॉपर्टी से जुड़े कामों में भी तेजी रहेगी। गुरु के वक्री होने से सोने-चांदी के भाव में गिरावट होने की आशंका है। मेहनती जातकों को कामयाबी मिलने के आसार प्रतीत हो रहे हैं।

काम में कोताही या लापरवाही करने वाले को बड़ी हानि हो सकती है। कुंवारे लोगों के विवाह संबंधों में आ रही बाधाएं दूर होंगी। ऐसे लोगों को अच्छे रिश्ते मिल सकते हैं।

वक्री ग्रहों के कुप्रभाव से छुटकारे के लिए उपाय

आचार्य राकेश झा बताते हैं ग्रहों की चाल का प्रभाव हर व्यक्ति पर पड़ता है। ग्रहों के अनुसार ही शुभ और अशुभ फल मिलते हैं। इसलिए अगर हम ग्रहों के बदलाव को लेकर पहले से तैयार हो जाएं तो इसके कुप्रभाव से बच सकते हैं। ज्योतिष विद्वान के मुताबिक जानिए कैसे ग्रहों की उल्टी चाल से खुद को बचाएं और शुभ फल पाएं।

-बुध ग्रह से प्रभावित लोग हरे मूंग का दान और विघ्नहर्ता गणेश को दूर्वा चढ़ाएं। -गुरु ग्रह के लोग गुरुवार को चने की दाल का दान, श्रीहरि विष्णु की पूजा तथा पिला चंदन एवं पिला फूल चढ़ाएं। -शनि ग्रह से प्रभावित लोग शनिवार को तेल का दान तथा शनिदेव को तेल से अभिषेक करें। तिल से बने व्यंजनों का भोग लगाएं। सरसों के तेल का दीपक जलाएं। -राहु-केतु के लिए जरूरतमंद लोगों को काले कंबल का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें।

छोटे से उपाए से प्रसन्न हो जाएंगे कान्हा

ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक अगर कान्हा को प्रसन्न करना हो तो श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर छोटे-छोटे उपाए करने होंगे। व्रत रहें और कृष्ण के जन्म तक नहीं सोएं। जन्म होने तक मंदिर में भजन कीर्तन में शामिल हों तो काफी बेहतर फल की प्राप्ति होती है। ऐसे ही अगर राशियों के हिसाब से छोटे छोटे उपाय कर कान्हा को प्रसन्न किया जा सकता है।

Source :- Danik Bhaskar

Rohit:

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