आज का इतिहास:काकोरी कांड में शामिल राम प्रसाद बिस्‍मिल, अशफाक उल्‍ला खान और रोशन सिंह को हुई थी फांसी

1922 में गोरखपुर में हुए चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। गांधी जी के इस फैसले से युवा क्रांतिकारी सबसे ज्यादा निराश हुए। आंदोलन से निराश युवाओं ने ये फैसला लिया कि वो एक पार्टी का गठन करेंगे।

सचीन्द्रनाश सान्याल के नेतृत्व में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना हुई। योगेशचन्द्र चटर्जी, रामप्रसाद बिस्मिल, सचिन्द्रनाथ बक्शी पार्टी के महत्वपूर्ण सदस्यों में शामिल थे। बाद में चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह भी पार्टी से जुड़ गए। पार्टी का मानना था कि भारत की आजादी के लिए हथियार उठाने ही पड़ेंगे।

राम प्रसाद बिस्मिल।

हथियार खरीदने के लिए पैसों की जरूरत थी। इसलिए क्रांतिकारियों ने फैसला लिया गया कि सरकारी खजाने को लूटा जाए।

क्रांतिकारियों ने 9 अगस्त 1925 को सहारनपुर से लखनऊ जा रही ट्रेन को लूटा। इस ट्रेन को काकोरी स्टेशन पर रोक गया और बंदूक की नोक पर गार्ड को बंधक बनाकर लूटा गया। क्रांतिकारियों के हाथ कुल 4,601 रुपए की रकम आई।

अशफाक उल्ला खान।

इस घटना से ब्रिटिश सरकार में भूचाल मच गया। आनन-फानन में गिरफ्तारियां की गईं। हालांकि घटना में केवल 10 ही लोग शामिल थे लेकिन सरकार ने एक महीने के अंदर करीब 40 लोगों की गिरफ्तार किया। 6 अप्रैल 1927 को फैसला सुनाया गया।

राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। कई लोगों को 14 साल तक की सजा दी गई। सरकारी गवाह बनने पर दो लोगों को रिहा कर दिया गया। चंद्रशेखर आजाद पुलिस की गिरफ्त से दूर ही रहे।

रोशन सिंह।

फांसी के फैसले का भारतीयों ने खूब विरोध किया लेकिन अंग्रेजों ने एक न सुनी। सबसे पहले 17 दिसंबर 1927 को गोंडा जेल में राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी दी गई। आज ही के दिन 1927 में रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल अशफाक उल्ला खान को फैजाबाद जेल और रोशन सिंह को इलाहाबाद में फांसी दी गई।

1983: ब्राजील में चोरी हो गई थी फुटबॉल वर्ल्ड कप की ट्रॉफी

ब्राजील फुटबॉल की सबसे सफल टीम है। उसने पांच बार वर्ल्ड कप जीता है। लेकिन, उसके साथ फुटबॉल की ऐसी कहानी भी जुड़ी है, जिसे वो भुलाना चाहेगा। बात 19 दिसंबर 1983 की है। इस दिन ब्राजील की राजधानी रियो-डि जेनेरियो में जूल्स रिमे ट्रॉफी (उस वक्त फीफा वर्ल्ड कप की ट्रॉफी इसी नाम से जानी जाती थी।) चोरी हो गई। ट्रॉफी ब्राजील फुटबॉल संघ के मुख्यालय में एक बुलेटप्रूफ कांच के शो केस में रखी थी। लेकिन, इसका पिछला हिस्सा लकड़ी का था। चोरों ने हथौड़े से पीछे का हिस्सा तोड़कर ट्रॉफी चुरा ली। तीन दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी चोरी हुई ट्रॉफी नहीं मिली।

वैसे ये पहला मौका नहीं था जब फुटबॉल वर्ल्ड कप की ट्रॉफी चोरी हुई हो। 1966 में भी ये ट्रॉफी सेंट्रल लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल से चोरी हो गई थी। हालांकि, सात दिन बाद पिक्लेस नाम के डॉग ने इसे एक घर के गॉर्डन में खोज निकाला। जहां ये ट्रॉफी एक अखबार में पड़ी हुई थी।

19 दिसंबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2012: पार्क ग्युन हे दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गईं। हालांकि, 2017 में उन्हें भ्रष्टाचार के चलते पद से हटा दिया गया। अगस्त 2018 में उन्हें 25 साल की सजा सुनाई गई।

2007: टाइम मैगजीन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ चुना।

1998: अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने उस वक्त के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर महाभियोग लगाया। हालांकि, उच्च सदन सीनेट से उन्हें बरी कर दिया गया।

1997: इतिहास में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक टाइटैनिक रिलीज हुई। फिल्म में लियोनार्डो डि कैप्रियो और केट विंसलेट मुख्य भूमिका में थे।

1984: चीन और ब्रिटेन के बीच 1997 तक हांगकांग चीन के वापस करने के समझौते पर दस्तखत किए।

1974: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और वर्ल्ड कप विजेता कप्तान रिकी पोंटिंग का जन्म हुआ।

1961: गोवा को पुर्तगाल की गुलामी से आजादी मिली। ऑपरेशन विजय के तहत भारतीय सैनिकों ने गोवा, दमन और दीव को पुर्तगाल से मुक्त कराया।

1941: जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने सेना की पूरी कमान अपने हाथ में ले ली और जर्मन सेना का कमांडर इन चीफ बना।

1934: भारत की पहली और अब तक की इकलौती महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील का जन्म हुआ।

1842: अमेरिका ने हवाई को प्रांत के रूप में मान्यता दी।

1154: किंग हेनरी द्वितीय इंग्लैंड के सम्राट बने।

Source :- Danik Bhaskar

Rohit:

This website uses cookies.