बोधगया ब्लास्ट: 3 को उम्रकैद, 5 को 10 साल जेल:NIA कोर्ट में आतंकियों ने कहा- बहकावे में आकर किया था: वापस सामान्य जीवन जीना चाहते हैं

गया के महाबोधि मंदिर में 19 जनवरी 2018 को विस्फोट और बमों की बरामदगी मामले में पटना की विशेष नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) अदालत ने 3 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी है। साथ ही 5 दोषियों को 10-10 साल जेल की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत ने शुक्रवार को सजा का ऐलान किया है। अदालत ने 10 दिसंबर को सभी को अलग-अलग धाराओं में दोषी करार दिया था। सभी फिलहाल पटना के बेऊर जेल में बंद हैं।

विशेष पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ललन प्रसाद सिन्हा ने बताया, ’10 दिसंबर को सभी आठ दोषियों ने स्वेच्छा से अपना अपराध कबूल कर लिया था। इन सभी को IPC की विभिन्न धाराओं, गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी करार दिया गया है। मामले में नौवें आरोपी जाहिद उल इस्लाम ने अपना जुर्म नहीं कबूला है। उसके खिलाफ सुनवाई जारी रहेगी।

दोषियों ने कोर्ट में कहा- बहकावे में आकर किया था अपराध

इस मामले के 9 लोग आरोपित हैं, जिनमें से 8 ने न्यायालय में पेशी के दौरान आवेदन दाखिल कर अपना अपराध कबूल किया था। कबूलनामे में यह भी कहा था कि उन्होंने बहकावे में आकर यह अपराध किया है और गिरफ्तारी के बाद लगातार जेल में बंद हैं। अब अपने समाज में वापस लौट कर सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। इस घटना से पूर्व महाबोधि मंदिर परिसर में 2013 में भी बम विस्फोट की घटना हुई थी।

पूरे मामले की जानकारी देते विशेष पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ललन प्रसाद सिन्हा।

इन तीन को आजीवन कारावास
1. पैगंबर शेख
2. अहमद अली
3. नूर आलम

इन पांच को 10 साल की सजा
1. आरिफ हुसैन
2. मुस्तफिज रहमान
3. अब्दुल करीम
4. दिलावर हुसैन
5. आदिल शेख

आतंकियों के सेल की सुरक्षा बढ़ाई

बोधगया ब्लास्ट के दोषियों को सजा के बाद बेउर जेल भेज दिया गया। इन आठों आतंकियों को हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया है। सेल के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। जेल के बाहर BMP जवानों को तैनात किया गया है, जबकि जेल के अंदर कक्षपालों सेल की निगरानी में तैनाती कर दी गई है। CCTV कैमरे से उन पर नजर रखी जा रही है। बस से उतरने के बाद उनकी कड़ी तलाशी ली गई। उन्हें कद्दू की सब्जी व रोटी खाने को भेजा गया। उम्रकैद की सजा पाने वाले आतंकी अहमद अली, पैगंबर शेख व नूर आलम ने भोजन नहीं किया।

दलाई लामा और बिहार के राज्यपाल के खिलाफ थी साजिश

मामला मंदिर परिसर और उसके आसपास तीन IED लगाने से संबंधित है। दोषियों ने दलाई लामा और बिहार के राज्यपाल की यात्रा के दौरान मंदिर परिसर में IED लगाकर साजिश रची थी। घटना 19 जनवरी 2018 की है, जब महाबोधि मंदिर में बौद्ध धर्मावलंबियों की निगमा पूजा का आयोजन था। इसमें दलाई लामा भी शामिल हुए थे।

कालचक्र मैदान के गेट नंबर पांच पर पाया गया पहला IED निष्क्रिय किए जाने दौरान फट गया था। श्रीलंकाई मठ के पास और महाबोधि मंदिर के गेट नंबर 4 की सीढ़ियों से दो और IED बरामद किए गए थे। NIA ने जांच के दौरान अभियुक्तों की गिरफ्तारी करने के बाद 9 के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

NIA की अदालत से 3 माह के अंदर यह दूसरी सजा

पटना सिविल कोर्ट स्थित NIA की विशेष अदालत के न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत ने 3 माह के अंदर यह दूसरी सजा सुनाई। पहली सजा गांधी मैदान ब्लास्ट में सुनाई गई। 2013 में गांधी मैदान में भाजपा की हुंकार रैली के दौरान हुए सिलसिलेवार बम धमाके के मामले में इसी विशेष कोर्ट ने नौ अभियुक्तों को 27 अक्टूबर को दोषी करार दिया था और 1 नवंबर 2021 को चार अभियुक्तों इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, नुमान अंसारी और मुजीबुल्लाह अंसारी को फांसी की सजा, उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन कुरैशी को उम्रकैद, फिरोज असलम व अहमद हुसैन को 10-10 वर्षों की सजा और इफ्तेखार आलम को 5 वर्षों की सजा सुनाई थी।

वहीं, दूसरी सजा शुक्रवार को बोधगया के महाबोधि मंदिर में निगमा पूजा के दौरान 2018 में हुए बम विस्फोट के मामले में सुनाई। इस मामले में 10 दिसंबर को इसी विशेष कोर्ट 8 अभियुक्तों को अपराध कबूलनामा के आधार पर दोषी करार दिया था। अहमद अली, पैगंबर शेख और नूर आलम को उम्रकैद, जबकि आदिल शेख, दिलावर हुसैन, अब्दुल करीम, आरिफ हुसैन और मुस्तफिजुर रहमान को 10- 10 वर्षों की सजा 17 दिसंबर 2021 को सुनाई।

Source :- Danik Bhaskar

Patna Desk:

This website uses cookies.