Success Story: सत्तू को ‘सुपरफूड’ बना बिहारी बाबू ने खड़ा कर दिया करोड़ों का कारोबार, दिखाई देसी की ताकत!

सचिन कुमार ने सत्तू को सुपरफूड बनाने का काम किया है। उनकी स्‍टार्टअप फर्म का नाम Sattuz है। यह कंपनी तीन फ्लेवर्स में रेडी-टू-मिक्स सत्तू ड्रिंक के साथ लिट्टी स्टफिंग मिक्‍सचर भी बनाती है। फर्म अपने कारोबार को तेजी से बढ़ाने में जुटी है। यह करोड़ों में पहुंच गया है।

नई दिल्‍ली: सचिन कुमार कभी मुंबई में बिजनस डेवलपमेंट मैनेजर हुआ करते थे। अक्‍सर उनकी मुलाकात सफल उद्यमियों से होती रहती थी। साल था 2008। स्टार्टअप सेक्‍टर में अपार संभावनाओं को देख सचिन ने भी उद्यमिता में हाथ आजमाने का फैसला किया। उनका विचार अपनी मातृभूमि बिहार में कारोबार शुरू करने का था। देश की यह धरती आईएएस अधिकारी पैदा करने के लिए जानी जाती है। लेकिन, स्टार्टअप सेक्‍टर में इसकी पहचान नहीं है। सचिन को सत्तू को सुपरफूड बनाकर उसे बेचने का क्रेडिट जाता है। इसके जरिये उन्‍होंने सफल कारोबार खड़ा कर दिया।

सच‍िन कुमार मुंबई में करते थे जॉब

सचिन ने 2008 में सेल्‍स और मार्केटिंग में MBA किया था। उन्‍होंने अपने साथ के कई लोगों से बात की। लेकिन, कोई भी अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़कर वापस बिहार जाने को तैयार नहीं था। पारंपरिक खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग क्षमता पर एक कार्यशाला में भाग लेने के बाद सचिन कुमार ने 2009 में अपनी नौकरी छोड़ दी। वह अपने घर मधुबनी चले गए। बिहार का यह शहर विश्वस्तर पर अपनी लोक चित्रकला के लिए जाना जाता है। शुरू में उनके माता-पिता को भी लगा कि मुंबई में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़कर वापस आना अच्छा विचार नहीं है। लेकिन, वह बिहार में काम करना चाहते थे। फिर वह अपने परिवार के कंज्यूमर ड्यूरेबल्स बिजनस में शामिल हो गए।

सत्तू पर क्‍यों रुकी रिसर्च?

ऋचा से शादी के बाद सचिन ने पारंपरिक खाद्य पदार्थों पर अपनी रिसर्च शुरू की। मधुबनी के दो सुपरफूड हैं। मखाना और सत्तू। मखाना पहले से ही अच्छी तरह से पैक होकर मार्केट में आता है। उन्‍हें एहसास हुआ कि सत्तू की पैकेजिंग और मार्केटिंग में बहुत अधिक इनोवेशन नहीं हुआ है। चने या भुने हुए जौ को पीसकर या दोनों को मिलाकर बनाए गए सत्तू का इस्‍तेमाल बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सदियों से किया जाता रहा है। सचिन ने फैसला किया कि वह देसी सुपरफूड को वही महत्‍व देंगे जिसके लिए वह हकदार है।

ऐसे की स्‍टार्टअप की शुरुआत

सचिन ने रेडी-टू-मिक्स सत्तू ड्रिंक की क्षमता पर मार्केट रिसर्च किया। इस आइडिया को बिहार और राज्य के बाहर दोनों जगह समर्थन मिला। सत्तूज (Sattuz) ने अप्रैल 2018 में बाजार में कदम रखा। स्‍टार्टअप ने अपनी शुरुआत सत्तू के तीन फ्लेवरर्स से की। इनमें स्‍वीट, जल-जीरा और चॉकलेट शामिल थे।
सिर्फ पानी मिलाकर बनाया गया यह पेय प्रोटीन से भरपूर होता है। यह तुरंत एनर्जी देता है। सत्तू में फाइबर और आयरन की उच्च मात्रा पाचन तंत्र के लिए अच्छी होती है। अक्टूबर 2019 में सत्तूज ने नई दिल्ली स्थित इंडियन एंजेल नेटवर्क से फंड जुटाया। इसके अन्य निवेशक IIM कलकत्ता इनोवेशन पार्क और बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन हैं।

कोरोना के दौर में आई मुश्किल, लेकिन…

कोरोना के दौर में कारोबार के सामने कुछ मुश्किलें आई थीं। लेकिन, बाद में हालात दोबारा सामान्‍य हो गए। 2021 में सत्तूज ने शेकर्स भी लॉन्च किए। ये चलते-फिरते हेल्‍थ ड्रिंक तैयार करना आसान बनाते हैं। स्टार्टअप ने वित्त वर्ष 23 में 1.2 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू कमाया। सचिन कुमार को वित्त वर्ष 2024 में लगभग 2 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू होने की उम्‍मीद है। सत्तूज पटना के बाहरी इलाके फतवा में कारखाना स्थापित कर रहा है। 5,000 वर्ग फुट में फैली इस फैक्‍ट्री में सत्तू ड्रिंक के पाउच और बड़े पैक के साथ मिक्‍चर का उत्पादन करेगी। बाद में यह रेडी-टू-ईट फॉर्मेट में लिट्टी और सत्तू पराठा भी पेश करेगा।

Source :- NBT

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