जदयू की गुटबाजी तेज, कई ख़ेमों में बटा जदयू

जदयू की गुटबाजी आखिर सतह पर आ ही गई। पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा सोमवार को खुल कर बोले। उन्होंने कहा- गुटबाजी से किसी का भला नहीं होगा। गुटबाजी करने वाले लोग नुकसान में रहेंगे। केंद्रीय मंत्री और जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के स्वागत समारोह में भाग लेने के बदले कुशवाहा जहानाबाद चले गए। उनके मुताबिक कार्यक्रम पहले से तय था। उन्हें जदयू कार्यालय में आयोजित आरसीपी सिंह के स्वागत समारोह के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं है। न तो आरसीपी और न ही जदयू कार्यालय की ओर से उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी दी गई है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि गुटबाजी से पार्टी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इधर, आरसीपी सिंह ने पटना रवाना होने से पहले दिल्‍ली में कहा कि जदयू में केवल एक नेता बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार हैं। बाकी सभी कार्यकर्ता हैं। जदयू में गुटबाजी की शुरुआत आरसीपी की बिहार यात्रा की घोषणा के साथ ही शुरू हो गई थी। उनके स्वागत में लगाए गए बैनर- पोस्टर से उपेंद्र कुशवाहा के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह का फोटो गायब था। ये बैनर जदयू कार्यालय के बाहर लगाए गए थे। प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने इन बैनरों को उसी समय हटवा दिया। बैनर बनवाने वाले पार्टी महासचिव अभय कुशवाहा को कार्रवाई की चेतावनी दी गई। मगर, उनके खिलाफ अबतक कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि, बाद में बनाए गए पोस्टरों में ललन सिंह की तस्वीर दी गई। उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर किसी-किसी बैनर पर है। उपेंद्र ने बैनरों पर अपनी तस्वीर न रहने पर कुछ नहीं कहा, लेकिन ललन सिंह की तस्वीर न रहने पर नाराजगी जाहिर की। कहा-यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है।

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राजनीति जानकारों की माने तो


उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का जदयू में विलय हुआ। मुख्यमंत्री ने उन्हें जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। उस समय मंत्री आरसीपी सिंह अध्यक्ष थे। संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेवारी राष्ट्रीय अध्यक्ष की ही रहती है। आरसीपी को अध्यक्ष के अधिकार में यह कटौती अच्छी नहीं लगी। यही वजह है कि उपेंद्र जिस वक्त जदयू में शामिल हुए थे, उस समारोह में आरसीपी शामिल नहीं हुए। आरसीपी को अध्यक्ष पद से हटना भी नागवार गुजर रहा है। वह कुछ दिनों तक मंत्री के साथ अध्यक्ष पद पर भी बने रहना चाहते थे।

Patna Desk:

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