सुपौल में 14 करोड़ 32 लाख रुपए से बना अनुमंडलीय अस्पताल मे टॉर्च की रोशनी पर ना केवल स्वास्थ्य कर्मी ड्यूटी करने को विवश हैं। बल्कि मरीजों को भी टोर्च की रोशनी पर इलाज चिकित्सक के द्वारा किया जाता। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से 220 केवी का जनरेटर भी उपलब्ध कराया गया है मगर विभागीय उदासीनता की वजह से उसे चालू नहीं कराया जा सका। जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में जेनरेटर आने के बावजूद डॉक्टर मरीजों की जांच अंधेरे मे किया करते हैं।
त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में बिजली कटने के बाद ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक से लेकर अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मी हर काम मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में करना अपनी मजबूरी बताते हैं ।वही दूसरी ओर इलाके के विभिन्न पंचायतो से पहुंचे मरीजों का प्रिस्क्रिप्शन बिजली कटने के बाद ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में तो करते हीं हैं। साथ ही अस्पताल के दवा काउंटर,कोविड जाँच और अन्य काम भी मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में होता है।
आपको बता दें कि सरकार ने त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल को बनने मे 14 करोड़ 32 लाख रूपये से नए भवन की सौगात मिली है।लेकिन बिजली कटने के बाद लाइट का समुचित प्रबंध नहीं किया गया है करीब एक माह पहले ही अनुमंडलीय अस्पताल को इस नए भवन में शिफ्ट तो कर दिया गया लेकिन बिजली कटने के बाद जेनरेटर के बिजली कनेक्शन की व्यवस्था नहीं किया गया।
वही बिजली कटने के बाद स्वास्थ्य कर्मी और चिकित्सक यहाँ मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में ऑपरेटर से लेकर डॉक्टर तक को काम करना पड़ता है। इधर ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉक्टर उमेश कुमार मंडल ने बताया करीब 8 से 10 रोज पहले अनुमंडल अस्पताल में जनरेटर आया हुआ है। मगर अस्पताल में जनरेटर से लाइट की व्यवस्था नहीं की गई है। इस कारण हम लोगों को अंधेरे में या मोबाइल की रोशनी पर इलाज करना पड़ रहा है। हाँलाकि इस बाबत सिविल सर्जन डॉ मिहिर कुमार वर्मा से सवाल किया गया तो उन्होंने जेनरेटर के कनेक्शन को लेकर जल्द सुदृढ़ करने का भरोसा दे दिया है।
Source – Danik Bhaskar